UPPCS Mains Optional Subject Exam Syllabus in Hindi (Sociology)

 

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) मुख्य परीक्षा वैकल्पिक विषय पाठ्यक्रम हिंदी में "समाजशास्त्र" (Download) UPPCS Mains Optional Subject Exam Syllabus in Hindi (Sociology)


 


प्रश्नपत्र - I (Paper - I)

सामान्य समाजशास्त्र (General Sociology) (खण्ड-अ Section - A)

1. सामाजिक घटनाओं का अध्ययन एवं समाजशास्त्र के मूलभूत आधार, समाजशास्त्र का उद्भव इसकी प्रकृति तथा अध्ययन क्षेत्र। अध्ययन विधिः वस्तुनिष्ठता की समस्या एवं सामाजिक विज्ञानों में मापन सम्बन्धी विचार, निदर्शन एवं प्रकार शोध प्रारूप- वर्णनात्मक, अन्वेशणात्मक (गवेशणात्मक) तथा प्रयोगात्मक, तथ्यों के संकलन की प्रविधियां- अवलोकन, साक्षात्कार अनुसूची एवं प्रश्नावली।

2. सैद्धान्तिक परिप्रेक्ष्य: प्रकार्यवादः रेडक्लिफ ब्राउन, मैलिनोस्की और मर्टन। संघर्ष सिद्धान्तः कार्लमाक्र्स, राल्फ डेहरेनडार्फ और लेविस कोजर। प्रतीकात्मक अन्तःक्रियावादः, सी0 एच. कूले, जी0 एच0 मीड, और हर्बर्ट ब्लूमर। संरचना वाद: लेवीस्ट्रास, एस0एफ0 नेडेल, पार्सन्स एवं मर्टन।

3. समाजशास्त्र के अग्रणी विचारक: अगस्त कोंत- प्रत्यक्षवाद एवं विज्ञानों का संस्तरण, हरबर्ट स्पेंसर- सावयवी सादृश्यता एवं उद्विकास का सिद्धान्त। कार्ल माक्र्स- द्वन्दात्मक भौतिकवाद एवं विरसन (वैराग्य), इमाईल दुरखीम- श्रमविभाजन, धर्म का समाजशास्त्र, मैक्सवेबर- सामाजिक क्रिया एवं आदर्श प्रारूप।

4. सामाजिक स्तरीकरण एवं विभेदीकरण: अवधारणा, स्तरीकरण के सिद्धान्त- माक्र्स, वेबर, डेविस एवं मूरः स्वरूप, जाति एवं वर्ग, प्रस्थिति एवं भूमिका, सामाजिक गतिशीलता-प्रकार, व्यावसायिक गतिशीलता-अन्तः पीढ़ीगत तथा अन्तरापीढ़ीगत गतिशीलता।

खण्ड-ब (Section - B)

5. विवाह, परिवार तथा नातेदारी: विवाह के प्रकार एवं स्वरूप, सामाजिक विधानों का प्रभाव, परिवार-संरचना एवं प्रकार्य, परिवार के बदलते प्रतिमान, परिवार सत्ता एवं नातेदारी, समकालीन समाज में विवाह एवं लिंगभेद की भूमिका।

6. सामाजिक परिवर्तन एवं विकास: अवधारणा, सामाजिक परिवर्तन के कारक एवं सिद्धान्त, सामाजिक आन्दोलन एवं परिवर्तन, सामाजिक नीति एवं विकास में राज्य का हस्तक्षेप, ग्रामीण रूपान्तरण की रणनीतियां सामुदायिक विकास कार्यक्रम, समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ग्रामीण युवाओं हेतु स्वयं रोजगार तथा जवाहर रोजगार योजना, समावेशी विकास एवं सतत विकास।

7. आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था: संपत्ति की अवधारणा, श्रमविभाजन के सामाजिक आयाम, विनियम के प्रकार, औद्योगीकरण, नगरीकरण एवं सामाजिक विकास, शक्ति की प्रकृति- वैयक्तिक, सामुदायिक, अभिजनोन्मुख, वर्गगत, राजनैतिक सहभागिता के स्वरूप- जनतांत्रिक एवं निरंकुश।

8. धर्म, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: अवधारणा, पंरपरागत एवं आधुनिक समाजों में धार्मिक विश्वास एवं धार्मिक भूमिकाएं, विज्ञान का आधार, विज्ञान का सामाजिक उत्तरदायित्व एवं नियंत्रण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सामाजिक परिणाम।

9. जनसंख्या एवं समाज: जनसंख्या का आकार, प्रवृत्तियाँ, गठन एवं प्रवास वृद्धि, भारत में जनसंख्या की समस्याएं, जनसंख्या शिक्षा।

प्रश्न पत्र - II (Paper - II) 

भारतीय सामाजिक व्यवस्था (Indian Social System)

1. भारतीय समाज के आधारः परंपरागत भारतीय सामाजिक संगठन-धर्म, कर्म का सिंद्धान्त, आश्रम व्यवस्था, पुरूषार्थ एवं संस्कार। सामाजिक सांस्कृतिक गत्यात्मकता- बौद्ध, इस्लाम तथा पश्चिम का प्रभाव, निरंतरता तथा परिवर्तन के उत्तरदायी कारक।

2. सामाजिक स्तरीकरण: जाति व्यवस्था- उत्पत्ति, सांस्कृतिक संरचानात्मक दृष्टि, जाति के बदलते प्रतिमान, जाति एवं वर्ग, समानता तथा सामाजिक न्याय संबंधी विचार, भारत में कृषक एवं औद्योगिक वर्ग संरचना, मध्यम वर्ग का उदय, जनजातियों में वर्ग, दलित चेतना का उद्भव एवं विकास।

3. विवाह, परिवार एवं नातेदारी: विभिन्न नृजातीय समूहों में विवाह, इसकी बदलती प्रवृत्तियां एवं भविष्य, परिवार- संरचानात्मक एवं प्रकार्यात्मक पहलू, बदलते प्रतिमान, विवाह एवं परिवार पर सामाजिक विधानों का प्रभाव, नातेदारी व्यवस्था में क्षेत्रीय अन्तर एवं उसका परिवर्तित स्वरूप।

4. आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्थाः जजमानी व्यवस्था, भूस्वामित्व व्यवस्था, भूमिसुधार, उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के सामाजिक आर्थिक परिणाम, आर्थिक विकास के सामाजिक निर्धारक, समावेशी विकास एवं सतत विकास, हरित क्रान्ति, जनतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था की कार्य प्रणाली एवं स्वरूप, राजनैतिक दल एवं उनकी रचना, राजनैतिक अभिजनों की संरचना, परिवर्तन एवं उन्मुखता, शक्ति का विकेन्द्रीकरण एवं राजनैतिक सहभागिता, विकास में राजनैतिक प्रभाव।

5. शिक्षा और समाजः परंपरावादी एवं आधुनिक समाज में शिक्षा के आयाम, शैक्षणिक असमानता एवं परिवर्तन, शिक्षा एवं सामाजिक गतिशीलता, समाज के कमजोर वर्गो की शिक्षा की समस्यायें।

6. जनजातीय, ग्रामीण एवं नगरीय सामाजिक संगठन: जनजातीय समुदायों की विशिष्ट विशेषताएं और उनका वितरण, जनजाति एवं जाति, परसंस्कृतिग्रहण, सात्मीकरण एवं एकीकरण की प्रक्रियाएं, जनजातियों की सामाजिक समस्याएं और अस्मिता। ग्रामीण समुदाय के सामाजिक-सांस्कृतिक आयाम, परम्परावादी शक्ति संरचना, जनतंत्रीकरण एवं नेतृत्व, सामुदायिक विकास कार्यक्रम एवं पंचायतीराज, ग्रामीण रूपान्तरण की नवीन रणनीतियां। नगरीय समुदायों में परम्परागत संस्थाओं की निरंतरता एवं परिवर्तन (नातेदारी, जाति, व्यवसाय आदि) नगरीय समुदाय में वर्ग संरचना एवं गतिशीलता, नृजातीय विविधता एवं सामुदायिक एकीकरण, नगरीय पड़ोस, ग्रामीण नगरीय-भिन्नता, जनांकिकीय एवं सामाजिक सांस्कृतिक प्रचलन।

7. धर्म और समाजः विभिन्न धार्मिक समूहो का आकार, वृद्धि और क्षेत्रीय वितरण, अन्तर धार्मिक अन्तः क्रियाएं और उसकी अभिव्यक्ति। धर्म परिवर्तन, साम्प्रदायिक तनाव, धर्म निरपेक्षता, अल्पसंख्यक पद तथा धार्मिक रूढ़िवादिता की समस्यायें।

8. जनसंख्या की गत्यात्मकता: लिंग, आयु वैवाहिक स्थिति, प्रजननता एवं मृत्यु के सामाजिक सांस्कृतिक पक्ष, जनसंख्या विस्फोट की समस्या, सामाजिक मनोवैज्ञानिक सांस्कृतिक एवं आर्थिक। जनांकिकीय नीति एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम, जनसंख्या वृद्धि के निर्धारक तत्व एवं परिणाम।

9. नारी और समाजः नारी का जनसंख्यात्मक विवरण, उनकी प्रस्थिति में परिवर्तन, विशिष्ट समस्यायें- दहेज अत्याचार, भेदभाव, नारी एवं बच्चों के कल्याण संबंधी कार्यक्रम, घरेलू हिंसा अधिनियम-2005, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न-2013.

10. परिवर्तन एवं विकास के आयामः सामाजिक परिवर्तन एवं आधुनिकीकरण, सूचक प्रवृत्ति, सामाजिक परिवर्तन के स्रोत-आन्तरिक एवं बाह्य। सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएं-संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण एवं आधुनिकीकरण। परिवर्तन के प्रेरक-जनसंचार, शिक्षा एवं सम्प्रेशण। आधुनिकीकरण एवं नियोजित परिवर्तन की समस्यायें। नियोजन की वैचारिकी एवं रणनीति, पंचवर्शीय योजनाएं, गरीबी उन्मूलन के कार्यक्रम, पर्यावरण, बेकारी और नगरीय विकास के कार्यक्रम, सामाजिक सुधार आन्दोलनः कृषक, पिछड़ा वर्ग, महिला तथा दलित के विशेष संदर्भ में।